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Young-I (English)
कविता
तपती धूप
स्त्री आंख, खुलते ही
सत्ता की बिसात पर
प्रतीकात्मकता की अपनी महत्ता
समय वही
कभी-कभी शरमाते
तब और अब
हे परमपिता परमात्मा
युवा अब उठ खड़े हो
झर झर करते झरने, कल कल करती नदियाँ
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