झर झर करते झरने, कल कल करती नदियाँ

झर झर करते झरने, कल कल करती नदियाँ
दृश्य विस्तरित हरे भरे पश्चिमी पठार, कौतुहल जगाती प्रागैतिहासिक चित्रकारिता, भव्यता दिखाते टूटे – फूटे खंडहर, प्राचीन वैभव, कला एवं वास्तु की झांकी सजाते पट्टाडकल के स्मारक। बादामी की गुफाएँ और आकर्षण, उत्साह के साथ अभिभूत करने वाले मनोरम दृश्य, कर्नाटक के प्रति विश्व पर्यटन पटल पर उत्सुकता जागते हैं। संस्कृत – कन्नड़ की साहित्य समृद्धता रुचिनुसार ज्ञान द्वार खोलती है तो आधुनिकतम तकनीक को पोषित करते हुए भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में पहचाने जाने वाला बंगलुरु शहर कर्नाटकी वैशिष्य्ये को सहेजे हुए सम्पूर्ण भारत का प्रतिबिम्ब नज़र आता है।

स्मारक एवं दर्शनीय स्थल भी वास्तविक शिक्षा का केन्द्र होते हैं। आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक ज्ञान के प्रतीक होते हैं। अपने भव्य रूप एवं खंडहर रूप में भी समयातीत – समयानुकूल सबक सिखाते रहते हैं।
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