लड़ाई लड़ना
होता नहीं आसां
किंतु जब
सज ही गया हो, कुरुक्षेत्र
मान, फिर तो केवल, कृष्ण उपदेश
वार औरों पर, करने से पहले
अर्जुन मन की दुर्बलता से लड़ ले
आध्यात्मिक, आंतरिक
बौद्धिक, रणनीतिक
युगानुकूल
व्यवहारिक वारों से
कर परास्त
राह कंटक,शत्रु सम से
“विजय” ही हो, एकमात्र लक्ष्य
एकनिष्ठ, मछली की आंख सदृश
कठिन परिस्थितियों को, ध्वस्त कर
सत्य, धर्म-निष्ठ जीवन सुंदर
-विधु गर्ग
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