समय वही

समय 

समय वही
जीवन यही
बांध, लो 
छोड़, दो 
पा, लो 
खो, दो 
सोचते, रहो 
करते, रहो
छलते, रहो
निखरते, रहो
रहने दो
नाम लिखो
गर 
निकल गया 
लौट के ना आएगा 
जिसने भी
समय, की महत्ता समझी 
जीवन, की शान रखी 
कर्म, की सत्ता रची 
दुनिया, मुट्ठी में करी।