बधाई

जय-जय रघुराई
बधाई हो बधाई

जम्बू द्वीपे, भरतखंडे
भाद्र द्वितीया, कृष्ण पक्षे
अवध पुरी हरषाई

सरयू तीरे, ध्वस्त मंदिर के
पुनर्निर्माण में, धीर – धारे
भूमि-पूजन की, शुभ घड़ी आई

पुष्प ,गुलाल, सुगंध, सजावट
जगमग-जगमग, दीप जगमगाहट
भाव – सौंदर्य, शोभा, न बरणी जाई

देव, ऋषि, मुनि, आशीष बरसावैं
जन-जन की, अभिलाषा साधैं
सदियों में, सांस्कृतिक नींव धराई

नाचत-गावत, ढोल बजावत
हरष – हरष शीश, नवावत
भगत सब, लेवें बलाई

पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण
अमीर-गरीब, जांत-पांत बिन
सिया-राम मय, सब जग जानी

कोरोना काल की, मर्यादा में
करोड़ों मन की, जिज्ञासा में
पत्रकारों की, कर लेवें बड़ाई

बधाई हो बधाई
जय-जय रघुराई