ॐ वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि सम प्रभ:
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
हे गजानन, विघ्न विनाशक , सब शुभ दायक
सत्कर्म श्री गणेश, शुभ लाभ हो सर्वदा
हे लम्बोदर,सिद्धिविनायक , जन सुखदायक
नित,धर्म-कर्म हेतु, रिद्धि-सिद्धि संग, विराजो सर्वदा
हे आनन्दाय, गणनायक, सृष्टि-नियामक
आमोद-प्रमोद , भाव-भक्ति का, आशीष दो सर्वदा
हे शम्भवे: , गौरी-पुत्र गणेश, महाभारत रचयिता
सनातन संस्कृति का, संस्कार-विस्तार हो सर्वदा
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