बूंद

बूंद

तपती दोपहरी
के बाद
उमड़ते – घुमड़ते बादलों
की आवाज
मंद मंद
बहती बयार
छलक पड़ी
रस-भरी फुहार
प्यासी धरा पर
पड़ीं, जो बूंद
मुस्काई – मदमाई
माटी की
सौंधी – सुगंध
पेड़ – पौधों से
धूल, जो छंटी
पीले होते, पत्तों से
हरीतिमा लिपटी
थके मांदे
बौराए – अलसाए
मलिन मुखों
पर
सहज – सुंदर
खुशी रूपी
बिजली सी चमकी।