बच्चे
कभी-कभी शरमाते
बात-बात पर खिलखिलाते
यूं ही रूठ जाते
सहज मान भी जाते
देखा - देखी बहुत ही करते
सभी कुछ समझते
धुन की धूनी रमाते
चाह की लगन जगाते
मीलों दौड़ लगाते
पहाड़ियां चढ़ जाते
कर - कर नहीं अघाते
पाकर, फूल से खिल जाते
खुशियों के दीप जलाते
प्यार के रंग बरसाते
पंछी से उड़ते - उड़ाते
आंचल में सिमट आते
उत्साह नित नया जगाते
जीवन सार समझाते
निश्छल, निर्मल और सच्चे
प्यारे - प्यारे यह बच्चे।
कभी-कभी शरमाते
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