पांच पर्यटन स्थल प्रतिवर्ष

लाल किले की प्राचीर से, भारत के कर्मठ प्रधानमंत्री ने, भारत की समस्त जनता, 130 करोड़ लोगों से, आव्हान किया है, कि वे 1 वर्ष में कम से कम 5 स्थलों का भ्रमण करें। निश्चित ही, माननीय प्रधानमंत्री जी के इस आह्वान के पीछे कई कारण काम कर रहे हैं । जैसे भ्रमण के माध्यम से मिलने वाली पारिवारिक खुशी, खुशी से अतिरिक्त सकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा से प्रभावी कार्य क्षमता, भावनात्मक एकात्मकता, स्थानीय रोजगार में वृद्धि एवं स्थानीय पर्यटक स्थल की अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता। ट्रेन, बस, होटल पर्यटन उद्योग इत्यादि में मुद्रा निवेश से रोजगार एवं अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

बच्चों ने जब सुना कि 1 साल में 5 स्थल, घूमने जाने के लिए मोदी जी कह रहे हैं। तो वह तो मारे खुशी के उछल पड़े। अभी तो मुश्किल से एक या ज्यादा से ज्यादा दो बार ही घूमने जा पाते हैं किंतु अब तो प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि आप साल में 5 स्थल, अवश्य भ्रमण करें । तो बच्चे कैलेंडर में घूमने का कार्यक्रम बनाने में जुट गए। भारतीय परिप्रेक्ष्य में पर्यटन को समझने के लिए , आय स्तर को भी ध्यान में रखना पड़ेगा। उच्च आय वर्ग ,मध्यम आय वर्ग, निम्न आय वर्ग, के रूप में, भारतीय जनसंख्या का विभाजन किया जाता है । अति उच्च आय वर्ग, तो केवल लगभग 1-2% ही है। यह वर्ग, भारत में उत्पादन, रोजगार इत्यादि में तो , अपना योगदान देता है, और यहीं से अपनी आय भी प्राप्त करता है । किंतु अपवादों को छोड़कर, खर्च करने की प्रवृत्ति की दृष्टि से, यह वर्ग विदेशी अर्थव्यवस्थाओं को पुष्ट करता है, क्योंकि अधिकतर खरीदारी विदेशों में करता है या फिर विदेशी वस्तुओं को खरीदने में अपनी शान समझता है।

लगभग 75-76% जनसंख्या मध्यम वर्ग में आती है और 22-23 प्रतिशत जनसंख्या निर्धन वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है।

मध्यमवर्ग को पुष्ट किया जाता है, तो उसका कुछ हिस्सा, निम्न वर्ग तक भी पहुंचता है, क्योंकि जीवन और समाज के सभी स्तर एवं क्षेत्र परस्पर एक दूसरे से संबद्ध हैं। उच्च आय वर्ग, अपनी मर्जी का मालिक होता है । निम्न आय वर्ग, जीने की मूलभूत जद्दोजहद के बीच पिस रहा होता है। मध्यमवर्ग, अपने आचार, विचार, व्यवहार से, राष्ट्र व समाज को प्रभावित, परिभाषित, एवं परिलक्षित करता है।

उन्नत पर्यटन की दृष्टि से मध्यमवर्ग बहुत बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता रखता है।

इस वर्ग के, बच्चों की बातों को भी, महत्व मिलता है। बच्चों के भविष्य के प्रति भी, अतिरिक्त सजगता की प्रवृत्ति होती है। इस बड़े मध्यम वर्ग को भी, तीन वर्गों में सहज विभाजित किया जा सकता है। उच्च मध्य वर्ग, मध्यम मध्य वर्ग एवं निम्न मध्यवर्ग। उच्च मध्यम वर्ग स्तर के लोग, पर्यटन उद्योग को अच्छा मोबिलाइज करने की क्षमता रखते हैं । सितारा सुविधाओं का उपयोग करते हुए, सभी पर्यटक स्थलों पर भी, साफ-सफाई, सौंदर्य, सुविधाओं की अपेक्षा भी रखते हैं। नए नए पर्यटन स्थलों की खोज में रहते हैं। सामान्यतया सौंदर्य एवं सुविधाओं के आधार पर, पर्यटक स्थल का चुनाव करते हैं। मध्यम मध्य वर्ग का प्रतिशत भी यहां काफी बड़ा होता है। माना जाता है कि जनसंख्या के हिसाब से आधी से अधिक आबादी इसी हिस्से में आती है। मध्यम मध्य वर्ग की अपेक्षाएं तो उच्च स्तर की होती हैं किंतु आर्थिक संसाधन सीमित होने के कारण वह समायोजन करने की प्रवृत्ति भी रखता है। इच्छाओं और शौक को, नियोजित करते हुए, जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देता है।

पर्यटन उद्योग द्वारा इस वर्ग को, विभिन्न योजनाओं, स्कीमों इत्यादि के माध्यम से, प्रोत्साहित किया जा सकता है । सस्ते पर्यटन लोन, आकर्षक टूर पैकेजेज आदि उपलब्ध हों, तो यह आधी से अधिक आबादी वाला वर्ग, सकारात्मक क्रांतिकारी उछाल आने की क्षमता रखता है, और अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ आधार दे सकता है। सरकार द्वारा, सरकारी कर्मचारियों को, प्रति 4 वर्ष में, “एल. टी. सी.” की सुविधा दी जाती है। इसे, कुछ शर्तों के साथ, प्रतिवर्ष भी किया जा सकता है । प्राइवेट कंपनियों में भी, इस तरह की सुविधा का प्रावधान, प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विभिन्न योजनाओं एवं सुविधाओं का लाभ उठाते हुए भ्रमण एवं पर्यटन के माहौल में निम्न मध्यम वर्ग भी अपनी क्षमताओं के अनुरूपआकर्षित होकर मुद्रा विनिमय में अपना योगदान दे सकता है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समग्र रूप से कुछ बुनियादी तथ्यों पर भी काम करना आवश्यक है ।

  • सप्ताहांत पर , रेलगाड़ियों में अतिरिक्त बोगियों की व्यवस्था हो, ताकि तुरंत कार्यक्रम बनने पर भी , जहां भी ,परिवार जाना चाहें, उन्हें आरक्षण मिल सके । ब्रेकजर्नी की, भी सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए । सड़कें भी चुस्त-दुरुस्त हों।
  • पर्यटन स्थलों पर , साफ-सफाई , बिजली, पानी और रहने की पर्याप्त व्यवस्था हो‌।
  • पर्यटन स्थल पर, स्थानीय लोक व्यवहार , मेले – ठेले, खानपान, हस्त – शिल्प इत्यादि स्थानीय अर्थव्यवस्था को, सुदृढ़ आधार प्रदान करते हैं । उनका भी प्रचार-प्रसार होना ही चाहिए।
  • पर्यटन के माध्यम से मनी ट्रांजैक्शन बहुत ज्यादा होता है। जो इकोनामी को स्ट्रांग बनाता है । स्वरोजगार के भी बहुत से क्षेत्र खुल जाते हैं।
  • विभिन्न पर्यटन स्थलों के , इतिहास, वास्तु, इत्यादि को ध्यान में रखते हुए 10 से 15 मिनट का वीडियो बनवा कर, स्थानीय संस्कृति , हस्तशिल्प, खानपान की झलक दिखाते हुए ,उस स्थल को प्रमोट किया जाना चाहिए । यह काम पर्यटन मंत्रालय द्वारा सहज ही किया जा सकता है।

भारतीय संस्कृति में, गंगा स्नान, तीर्थ यात्राएं, आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ, सामाजिक और आर्थिक पक्ष को भी, मजबूत करने का कार्य करती रही है। आधुनिक समय में भी यह तीर्थ यात्राएं, पर्यटन उद्योग की मजबूत नींव, के रूप में कार्य कर रही हैं । इसलिए यहां भी, आधुनिक सुख सुविधाओं का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है। प्रधानमंत्री के आह्वान से, निश्चित ही बच्चों को, उत्साह एवं परिवारों को, प्रोत्साहन मिलेगा । पर्यटन संबंधी बुनियादी सुविधाओं में सुधार होगा । सामाजिक एवं आर्थिक पक्षों में मजबूती के साथ, एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के अनुरूप, समरसता एवं समरूपता को आत्मसात करते हुए, नई ऊर्जा उत्पन्न होगी।