तब और अब
लॉकडाउन
गर
इस सदी के
बीसवें साल के बदले
खत्म होती पिछली सदी के
बीस साल पहले
होता, " तो ",
ट्रेन, बस, हवाई जहाज
तब भी थे, अब भी हैं
हाट, बाजार, सिनेमा हॉल
तब भी थे, अब भी हैं
शिक्षा, रोजगार, व्यापार, सरकार
तब भी थे, अब भी हैं,
और तो और
टेलीफोन, टेलीविजन जैसे संचार साधन
तब भी थे, अब भी हैं
पर फिर भी
उस समय-काल की कल्पना मात्र से
न केवल
आज का युवा, सिहर उठता है
बल्कि
उस समय का युवा, भी घबरा जाता है
क्योंकि, तब
कंप्यूटर, मोबाइल चलन में न था
फेसबुक, ट्विटर, भविष्य के गर्भ में था
सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग, वर्क फ्रॉम होम
अबूझ पहेली थी
स्काइप, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, इंटरनेट के बिना
इतनी बड़ी दुनिया भी, अकेली थी
तब 1980 में
सचमुच, सारा संसार, एक बड़ी जेल बन जाता
अपने-अपने घरों की बैरकों में कैद , "इंसान", अकेला पड़ जाता
विकास, तकनीक और संचार क्रांति के साथ
कदम से कदम मिला
चलने पर
सारी दुनिया, मुट्ठी में समा गई है
आज, 2020 में अभी
घरों में है, जरूर,
परेशानियां भी कम नहीं
किंतु फिर भी
सामान्य दिनचर्या में रुकावट कोई नहीं है
ऑनलाइन शॉपिंग जरूरतें पूरी कर रही है
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कामकाज संभाल रही है
सोशल मीडिया, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ, सबको जोड़ रही है
नई पीढ़ी जिम्मेदारी संभाल रही है
"लॉक डाउन" की नीति
"कोविड 19" को हराने का हौसला बढ़ा रही है ।।
तब और अब
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