तपती धूप

“मजदूर”

तपती धूप
खाली पेट
चलता मजदूर

गांव की माटी
छूने को
तरसता मजदूर

सरकार, प्रशासन
मीडिया, समाज
तकता मजदूर

उम्मीद, अफवाह
अज्ञान
छलता मजदूर

ओ हो
अब तो हो
सड़क, राजमार्ग, प्रतिबंधित
नाकाबंदी, प्रशासनिक युक्ति
जो सुझाये, मजदूर को, राह सही
समय, दिन व ट्रेन की स्थिति
तकनीक, और निर्णय क्षमता का सटीक समायोजन
कोरोना योद्धाओं के, अनुशासन का पालन

धीर धीर, धीर धर, धीर धर
उत्साहित हो, घर परिवार में मिलकर
घने जंगल की, शुद्ध पवन सा
अर्थव्यवस्था की, प्राणवायु सा
नासमझ, भोला – भाला सा
गांव-शहर में, उलझा – उलझा सा
निष्ठावान, आडंबर विहीन
श्रम और कर्म ही, में लीन

ये श्रमिक, ये मजदूर

जन्म – जन्मांतर से
जुड़ा हुआ है, इसी धरा से।