युवा
अब उठ खड़े हो
देर ना करो
निकालो अर्थ
मीठे बोलों से
रहो चौकस
दूर के ढोलों से
भरमाते
राजनीतिक बयान
भटकाते
मुद्दे से ध्यान
बच्चा भोला
समझ के ध्यान न देते
खुद का दोष और मढ़ देते
दिखा दो दम
नहीं कुछ कम
पिता, दादा या परदादा से
किया तब , राष्ट्र अपना
करेंगे अब, जहां अपना
संस्कारों को सजा कर
परंपराओं को बढ़ाकर
धर्म ,जाति ,भाषा के क्रंदन
मिटे , संग शिक्षा सृजन
लालफीताशाही पर कसे लगाम
जागरूकता का हो पैगाम
संचार क्रांति का दौर है
यह नया इक ठौर है
बम, गोली जैसे छोड़ हथियार
टि्वटर, फेसबुक से करते वार
आसां नहीं पार इनसे पाना
बच न सके , हो कोई निशाना
बुद्धि, कौशल लिए
जो रखे राष्ट्र - भाव
विश्व पटल पर,
दिखा ना सके कोई, जरा ताव ।।
युवा अब उठ खड़े हो
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