नव संवत्सर का प्रारंभ भी चैत्र नवरात्रि से होता है।

।।सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

कीटाणु-विषाणु एवं जीवाणु से ग्रस्त जगत में,
आशंका , भय व मूर्खता युक्त समाज को,
बुद्धि ,विवेक ,स्वास्थ्य – संचार के लिए,
कल्याणमयी-वात्सल्यमयी मां जगदंबा की,
भक्ति-शक्ति जप-तप हेतु,
सनातन – संस्कृति से,
ऋतु – परिवर्तन काल में,
नवरात्रि का पर्व,
नव-ऊर्जा और नव-उत्साह का प्रतीक है।

नव संवत्सर का प्रारंभ भी चैत्र नवरात्रि से होता है।

बसंत ऋतु में रंग-बिरंगे फूलों से सुसज्जित ,प्रकृति की शोभा से तृप्त एवं कर्म फल से प्राप्त की गई , नई फसल पकने के उपरांत, जनसाधारण , देवी भगवती का आभार प्रकट करने के साथ ही साथ , सदाचार-संयम से , जगत जननी माता से, सत्कर्म बल प्राप्त करने की प्रार्थना भी करता है।

।। शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री – नव दुर्गा माता ।।

ऋतु परिवर्तन के समय होने वाले ,नवरात्रि पर्व, संपूर्ण भारत में, जनसाधारण द्वारा ,बहुत उत्साह से मनाये जाते हैं क्षेत्रीय एवं स्थानीय परंपराओं का समावेश भी, इन पर्वों को अति विशिष्ट बना देता है। सामान्यतया नवरात्रि के दिनों में, जनसामान्य, सात्विक आहार-विहार और शुभ आचरण का प्रयास करता है । जप- तप, व्रत – हवन इत्यादि करके सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति को चेष्टा करता है । स्व कल्याण, राष्ट्र कल्याण के साथ-साथ विश्व कल्याण की प्रार्थना करता है ।

सनातन काल से, सनातन संस्कृति में ,नव दुर्गा की, शक्ति पूजा का विशेष महत्व रहा है । आदिकवि श्री वाल्मीकि कृत रामायण में, नकारात्मक शक्ति के प्रतीक रावण को , परास्त करने हेतु त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने, मां दुर्गा की शक्ति पूजा की थी, तथा देवी मां ने प्रसन्न होकर विजयी भव:, का आशीर्वाद दिया था। भारतीय गुलामी के इतिहास के दौरान, औरंगजेब के शासनकाल में ,मराठों को एकत्रित करने के साथ, शिवाजी महाराज नित्य प्रति “मां भवानी” की आराधना करके, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हुए , राष्ट्र को संगठित करने का प्रयास कर रहे थे । फलत: छत्रपति शिवाजी के रूप में प्रतिष्ठित हुए। दुष्कर परिस्थितियों से सामना करते समय प्राय: शक्ति पूजा की परंपरा चली आ रही है।

जिस प्रकार, प्राणी , अपनी छोटी-छोटी गलतियों से प्रकृति को नुकसान पहुंचाता है और असंतुलन पैदा करता है तो पृथ्वी में नकारात्मकता भर जाती है। उसी प्रकार, जब सामान्य जन ,अपने सद्भाव, सदाचार का अंश – अंश योगदान करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि होती है। 9 दिनों तक चलने वाला नवरात्रि पर्व, शक्ति की आराधना का माध्यम बनकर , जनसाधारण द्वारा, सकारात्मक ऊर्जा में, गुणात्मक वृद्धि करके , समस्त सृष्टि और प्राणी मात्र में उत्साह का संचार करता है।

25 मार्च 2020 से प्रारंभ , नवसंवत्सरीय ,चैत्रीय नवरात्रि पर्व पर, वैश्विक महामारी , कोरोना का असर भारत पर भी झलक रहा है।

भारत को इस महामारी से बचाने के लिए , 25 मार्च से , संपूर्ण “लॉकडाउन” किया गया है अर्थात सभी को अपने-अपने घरों में रहने के लिए कहा गया है। 25 मार्च से शुरू हुए नवरात्रों में , जनसाधारण ,अपने-अपने सद्भाव – सदाचार में, थोड़ी-थोड़ी भी वृद्धि करता है, तो निश्चित रूप से , सकारात्मक ऊर्जा में बहुत अधिक गुणात्मक वृद्धि होगी और नकारात्मक कोरोना का क्षरण , शीघ्र अति शीघ्र होगा ।

।।या देवी सर्वभूतेषु, शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया
सर्वे पश्यंतु भद्राणि मां फलेषु कदाचन।
वंदे मातरम!
विधु गर्ग