ना तो शब्दों की भूल भुलैया
ना ही विचारों की ता-ता थैया
व्यक्त करती, यह तो
विनीत – संयमित
अंतर्मन की पुकार
समाज का चीत्कार
शोषित का हाहाकार
और
सहेजती – संजोती
वेदों का, तत्वज्ञान
देवों का, स्तुति-गान
बाल्मीकि का, राम-राज
व्यास का, भारत-भाव
गीता का, सार
जीवन श्रंगार…
ना तो शब्दों की भूल भुलैया
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