दो – पल

दो – पल

बैठे होते,
दो – पल
शांत चित्त, सहज बोल
समाधान, भाव उद्गार होते

श्रंगारित,
दो – पल
निश्छल, रसीले
रूमानी, यादगार होते

गुंथे हुए,
दो – पल
सही क्या, गलत क्या
जीवन के, संस्कार होते

यूं तो,
ढेरों – पल
यूं ही, हैं, गुजर जाते
“दो – पल”, ही तो सच्चे साझीदार होते।