सुबह

आंधी-तूफां सी
रात से गुजर
मुंह अंधेरे
बारिश में नहा कर
भोर की लालिमा के
लावण्य में निखर कर
निकल रही है
सुबह

मोगरे सी महकती
चिड़ियों सी चहकती
कोयल सी कूकती
घंटियों सी गूंजती
जाने-अनजाने
मन को
लुभा रही है
सुबह

नव-आशा, नव उमंग
नव संकल्प, नव – अवसर
संग
स्वप्न साकार करने को
सर्वस्व अर्पण करने को
पथ
सजा रही है
सुबह।